पुस्तक परिचय
जलियाँवाला बाग़
क़यामत तक दिलो में घाव बनकर रहने वाला हादसा
---- लेखक एम.एम. जुनेजा
शोघ पर आधारित 160 पृष्ठों की पुस्तक में जिन पहलुओ पर प्रकाश डाला गया है, उनका संक्षिप्त विवरण निम्नलिखित
पंक्तियों में प्रस्तुत है :-
13 अप्रैल 1919 को वैशाखी वाले दिन ‘भारत का लघुरूप’ कहे जाने वाला अमृतसर नामक पवित्र नगर के जलियाँवाला बाग़ में ब्रिटिश साम्राज्य के एक सिरफिरे फौजी अफसर, ब्रिगेडियर जनरल आर. इ एच डायर (1864 -1927 ), ने सैकड़ो निर्दोष हिन्दू-सिख -मुसलमान -जिनमे बच्चे-औरते -बुजुर्ग भी शामिल थे, को मात्र 10 से 15 मिनट के भीतर 1650 राउंड फायर करके मौत के घाट उतार दिया।
-- मौत के सौदागर नामक जनरल डायर ने चंद मिनटों में 'अमृतसर' अर्थात’ अमरत्व प्रदान करने वाले सरोवर नामक शहर को ' मुर्दो के टिले में बदल दिया।
--- फलत: 13 अप्रैल 1919 का दिन, मात्र एक दिनांक ही नहीं है और जलियाँवाला बाग़ मात्र जमीन का एक टुकड़ा ही नहीं है, बल्कि ये दोनों स्वत्नत्रता संग्राम के इतिहास के सर्वेश्रेष्ठ अध्याय बन चुके है।
--- जलियावाल बाग़ हत्याकांड, एक ऐसी खुनी घटना है जिसको भारत के लोग न तो अतीत में भुला पाए और न ही भविष्य में भुला पायंगे । अतः यह वह हादसा है, जो क़यामत तक भारतीयों के दिलो में घाव बन कर रहेगा।
संछेप में यदि कहा जाए, तो इस पुस्तक में निम्नलिखित महत्वपूर्ण एवं प्रासंगिक प्रश्नो का निर्भीक तथा निष्पक्ष उत्तर देने का भरसक प्रयास किया गया है :-
1 . यह खूनी घटना क्यों हुई ?
2 . इस घटना के परिणाम क्या निकले ?
3 . इस घटना का सन्देश क्या है ?
लेखक परिचय
अगस्त 28 , 1945 को पंजाब के अबोहर नगर में जन्मे, एसोसिएट प्रोफेस्सर मदन मोहन जुनेजा -- एम् ऐ. (राजनितिक विज्ञानं व इतिहास ) विषय में अद्यापन कर सन 2005 में हरियाणा प्रान्त के हिसार स्थित छाजूराम मेमोरियल जाट पी जी कालेज से सेवानिवृति हुए I
पिछले पांच दसक से डॉ. जुनेजा शोध कार्य में लगे हुए है। और आज तक उन द्वारा लिखित/सम्पादित 30 पुस्तके प्रकाशित हो चुकी है जिनमे से अधिकतर क्रांतिकारियों, विशेषकर शहीद - ए आजम भगत सिंह (1907 -1931 ) पर है।
आज कल ड़ॉ जुनेजा जिस विषय पर शोध क़र रहे है उसका शीर्षक है, '' भारत की युवा पीढ़ी कैशी हो ''
---- एम.एम. जुनेजा