Description
Rawat Publications Samajik Vicharak by S L Doshi And P C Jain
प्रस्तुत पुस्तक को तैयार करने के पीछे कुछ निश्चित उद्देश्य हैं। समाज विज्ञानों में सामाजिक विचारकों को लगभग सभी विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों में सम्मानपूर्ण स्थान प्राप्त हैं। हिन्दी में सामाजिक विचारकों पर पर्याप्त सामग्री का अभाव है। फिर भी जो कुछ साहित्य विचारकों पर उपलब्ध है उसमें सामान्यतया बहुआयामी संदर्श नहीं अपनाया गया है। वे विषय जो प्रायः पाठ्यक्रम में होते हैं उन्हीं का निर्वाह विचारकों की पुस्तकों में मिलता है। ऐसी अवस्था में विचारकों को उनके सम्पूर्ण कृतित्व के रूप में समझने का अवसर पाठकों और विद्यार्थियों को नहीं मिलता। यह पुस्तक इस कमी को पूरा करेगी।इस पुस्तक का उद्देश्य यह भी है कि इसमें किसी विचारक पर कोई मौलिक सामग्री नहीं दी गयी है। प्रस्तुत पुस्तक का उद्देश्य विचारकों का निर्बाध निर्वचन करना है।प्रस्तुत पुस्तक को तैयार करने के पीछे कुछ निश्चित उद्देश्य हैं। समाज विज्ञानों में सामाजिक विचारकों को लगभग सभी विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों में सम्मानपूर्ण स्थान प्राप्त हैं। हिन्दी में सामाजिक विचारकों पर पर्याप्त सामग्री का अभाव है। फिर भी जो कुछ साहित्य विचारकों पर उपलब्ध है उसमें सामान्यतया बहुआयामी संदर्श नहीं अपनाया गया है। वे विषय जो प्रायः पाठ्यक्रम में होते हैं उन्हीं का निर्वाह विचारकों की पुस्तकों में मिलता है। ऐसी अवस्था में विचारकों को उनके सम्पूर्ण कृतित्व के रूप में समझने का अवसर पाठकों और विद्यार्थियों को नहीं मिलता। यह पुस्तक इस कमी को पूरा करेगी।इस पुस्तक का उद्देश्य यह भी है कि इसमें किसी विचारक पर कोई मौलिक सामग्री नहीं दी गयी है। प्रस्तुत पुस्तक का उद्देश्य विचारकों का निर्बाध निर्वचन करना है।सामाजिक विचारकों पर बहुत कुछ लिखा गया है। लेकिन अपनी बात को लिखने और प्रस्तुत करने का तरीका प्रत्येक लेखक का अलग होता है। इसका प्रमाण प्रस्तुत पुस्तक में पाठकों और विचारकों को पर्याप्त रूप से मिलेगा।