Description
PHI Adhunik Bharat Mein Samajik Parivartan by Singh and J P
सामाजिक परिवर्तन जैसे चर्चित विषय पर प्रख्यात समाज शास्त्रियों एवं मानव शास्त्रियों के गूढ़ विचारों को व्यवस्थित करने से हिंदी में प्रस्तुति करने का अब तक कोई ऐसा प्रयास नहीं हुआ है। वर्तमान पुस्तक इस्स कमी को काफी हद तक पूरा करती है। विभिन्न प्रकार के जटिल विचारों को यहां इतने सरल और सहज तरीके से रखने की कोशिश की गई है कि समाज शास्त्र के विभिन स्तर के पाठकों को ये पुस्तक समान रूप से बोधगम्य हो। ये पुस्तक केवल समाज शास्त्र के पाठकों के लिए ही उपयोगी सिद्ध नहीं होगी, बाल्कि तमाम लोगो के लिए भी उपयोगी साबित होगी जो समाजशास्त्रीय विवेचना में थोड़ी सी भी रुचि रखते हैं।सामाजिक परिवर्तन के विभिन्न पश्चात्य सिद्धांतौ, कारको एवम् प्रक्रियाओं का भारतीय परिप्रेक्ष्य में विश्लेष्ण इस पुस्तक की विशिष्टता में से एक है। सम्बद्ध समाजशास्त्रीय अवधारणाओं का प्रामाणिक अनुवाद और उनके विश्लेषण के साथ-साथ पाश्चात्य विद्वानों के नामों का भी प्रामाणिक उच्चारण इस पुस्तक की अपनी विशिष्टता है। वैसे चिंतनशील पाठक जिनमें यह जानने की थोड़ी सी भी जिज्ञासा है की समाज वैज्ञानिक समाज में प्रचलित विभिन्न प्रकार की प्रक्रियाओं को कैसे देखते हैं, उन्हें भी इस पुस्तक पर एक दृष्टि डालनी ही चाहिए।