Description
Scientific Publishers Adhyatmik Rastravaad (Hindi) by Kanhaiya Lal Rajpurohit
भारतीय मनीषा का आधुनिक युग में एक महत्वपूर्ण अवदान है मातृभूमि के प्रति अविचल निष्ठा से आलोकित एवं पार्थिव सत्ता से परे उसके दिव्यत्व की चेतना से स्पंदित आध्यात्मिक राष्ट्रवाद।भारत की अस्मिता के सम्मुख यांत्रिक कौषल से सम्पन्न पष्चिमी राजनैतिक व बौद्धिक साम्राज्यवाद के रुप में जो गंभीर संकट उन्नीसवीं सदी में उपस्थित हुआ उससे सर्वथा हतप्रभ व दिग्भ्रांत भारतीय जब अपने अस्तित्व के आधारों का नकारने में ही मुक्ति का आल्हाद अनुभव करने लगे थे तब सांस्कृतिक विलोपन के उस भीषण संकट के दौर में इस विचार धारा ने ही हमें उस झंझावत को झेलने में सक्षम बनाया।भारतीय प्रज्ञा के शलाका पुरुषों ऋषि बंकिमचन्द्र, स्वामी विवेकानन्द, स्वामी रामतीर्थ, महायोगी श्री अरविन्द, लोकमान्य टिळक एवं विपिनचन्द्र पाल की लोकोत्तर प्रतिभा से उद्भासित आध्यात्मिक राष्ट्रवाद ने संभ्रमित राष्ट्र को अभिनव दिषा बोध देकर जनसाधारण में जिस ओज एवं अश्रुत देषभक्ति की ऊर्जा का संचार किया, राष्ट्रीय आन्दोलन को जो शक्ति , गति एवं गरिमा प्रदान की वह हमारे स्वाधीनता संग्राम की निजंधरी गाथा है। ऐसा प्रेरक विचार दर्षन की इस पुस्तक का प्रतिपाद्य विषय है।भारतीय संस्कृति के आधरभूत मूल्यों से अनुप्राणित आध्यात्मिक राष्ट्रवाद चिन्तन के क्षेत्र में सैद्धान्तिक वाग् विलास तक सीमित न होकर कर्मक्षेत्र में उतरने का आह्नान था। इसका बीजमंत्र था वन्दे मातरम् और लक्ष्य था मातृभूमि का सर्वतो-भावेन उत्कर्ष। राष्ट्रवाद के प्रचलित स्वरुप से परे यह मातृभूमि को निवेदित एक भाव प्रवण स्तुति है। कालजयी मूल्यों से रची बसी यह विचार धारा चिंतन के क्षेत्र में आधुनिक भारत की उल्लेखनीय देन है।