Description
Vikas Publishing Lok Vitt by Dr H L Bhatia
इस पुस्तक के प्रथम संस्करण का लेखन लोक वित्त के बढ़ते शैक्षिक और व्यावहारिक महत्त्व को ध्यान में रखते हुए किया गया था। गत वर्षों में इसकी लोकप्रियता में लगातार वृ़िद्ध हुई है। ज्ञातव्य है कि भारत सहित आधुनिक अर्थव्यवस्थाओं तथा उनके राजकोषीय आयामों में अनथक विकास और परिवर्तन हो रहे हैं जिनके फलस्वरूप इस पुस्तक का नए संस्करणों में पुनर्लेखन किया जाता रहा है।
पुस्तक की भाषा सरल, स्पष्ट एवं रोचक रखने के साथ-साथ इस बात का भी ध्यान रखा गया है कि इसकी पाठ्य-सामग्री भारतीय विश्वविद्यालयों के पाठय्क्रमों के अनुकूल हो और व्यावसायिक एवं प्रतियोगितात्मक परीक्षाओं में भाग लेने वालों, तथा जनसाधारण के लिए भी प्रत्येक प्रकार से उपयोगी हो। कठिन सैद्धांतिक एवं व्यावहारिक व्यवस्थाओं और पद्धतियों के मूल तत्त्वों को उभारने का कार्य तथा उनकी व्याख्या में प्रयुक्त उदाहरणों का चुनाव यथासंभव भारतीय परिस्थितियों से किया गया है। पुस्तक में लोक वित्त के सिद्धांतों के अतिरिक्त भारतीय लोक वित्त की स्थिति एवं समस्याओं तथा उनके संभावित समाधनों की व्याख्या को इस ढंग से प्रस्तुत किया गया है कि पाठकगण अपनी आवश्यकतानुसार लाभान्वित हो सकें। हर अध्याय के अंत में हिंदी-अंग्रेज़ी शब्दावली और अभ्यास प्रश्न भी हैं।
यह पुस्तक संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं के लिए भी उत्तम साबित हुई है।