Description
PHI Learning Manav Adhikar Antarrashtriya Prasamvidayen Aur Bharat Ki Vidhi 2010 Edition by SHARMA, BRIJ KISHORE
मानव अधिकार की सार्वभौम घोषणा द्वारा संयुक्त राष्ट्र संघ ने यह दर्शाया की सभ्य राष्ट्र यह मानते हैं कि प्रत्येक मानव के कुछ ऐसे अधिकार हैं जिनसे उसे वंचित नहीं किया जा सकता | समस्त विश्व को उन अधिकारों का सम्मान करना चाहिए |यह घोषणा आबद्धकर संधि नहीं थी | राष्ट्र संघ ने सर्वसम्मति से मानवधिकारों को दो भागों में विभाजित किया | राज्य पर अंकुश लगाने के जो अधिकार थे उन्हें सिविल तथा राजनीतिक अधिकार अंतरराष्ट्रीय प्रसंविदा में रखा गया | अन्य सकारात्मक अधिकारों को आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकार अंतरराष्ट्रीय प्रसंविदा में स्थान दिया गया |इस पुस्तक में प्रसंविदाओं के अनुच्छेदों के समानांतर हमारे संविधान और विभिन्न अधिनियमों के उपबंध दिए गए हैं | साथ ही उच्चतम न्यायालय के संबंधित निर्णय भी यथास्थान दिए गए हैं |कोई अन्य पुस्तक एसी नहीं है जिसमें प्रसंविदाओं के प्रत्येक अनुच्छेद के साथ भारतीय विधि के उपबंध दिए गये हैं |लेखक की दूसरी पुस्तक मानव अधिकार की सार्वभौम घोषणा और भारत की विधि के साथ इस पुस्तक को पढ़ने पर मानव अधिकार और भारतीय विधि का सम्यक चित्र सम्मुख उपस्थित होगा | ये पुस्तकें एक दूसरे की पूरक हैं |