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Rajasthan Ke Pavitra Upavan Sambhavit Khatein Tatha Prabhandh Nitiyan (Hindi) at Meripustak

Rajasthan Ke Pavitra Upavan Sambhavit Khatein Tatha Prabhandh Nitiyan (Hindi) by Singh G, Scientific Publishers

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  • General Information  
    Author(s)Singh G
    PublisherScientific Publishers
    Edition1st Edition
    ISBN9789386347862
    Pages349
    LanguageHindi
    Publish YearJanuary 2017

    Description

    Scientific Publishers Rajasthan Ke Pavitra Upavan Sambhavit Khatein Tatha Prabhandh Nitiyan (Hindi) by Singh G

    1. प्राचीन भारतीय वनों की पवित्रता और उनकी उपयोगिता1. प्रकृति पूजा2. प्राचीन भारत के वन2.1 दंडक वन2.2 काम्यक वन2.3 द्वैत वन2.4 खांडव वन2.5 नैमिष वन2.6 अन्य वन3. प्राचीन समय में जैव विविधता4. पवित्रता5. निष्कर्ष एवं अनुशंसाएँ2. पवित्र स्थल, वृक्ष एवं उपवन: एक संक्षिप्त विवरण1. पवित्र स्थल2. पूज्य पौधे3. पूज्य उपवन4. भारत में पवित्र उपवन4.1 पवित्र उपवनों के प्रकार5. पवित्र उपवनों का महत्व5.1 धार्मिक-सांस्कृतिक लाभ5.2 जैव-विविधता का संरक्षण5.3 औषधीय महत्व5.4 अकाष्ठ उत्पादन का स्रोत5.5 जल आपूर्ति के स्रोत तथा जलभृतो का पुनः भरण5.6 पोषण चक्र में मृदा व जल का संरक्षण5.7 कार्बन चक्रण तथा कार्बन प्रच्छादन5.8 पवित्र उपवन तथा क्षेत्रीय विषमांगता5.9 पवित्र उपवन तथा पशु विविधता6. आषंकाएँ और अवसर7. निष्कर्ष तथा अनुषंसाएँ3 पवित्र उपवन पृष्ठभूमि और प्रेक्षण अभिलेखन1. पृष्ठभूमि2. अध्ययन का क्षेत्रीय विस्तार2.1 क्षेत्रीय भूगोल2.2 राजस्थान की जलवायु2.3 वर्षा का स्वरूप2.4 भूमि उपयोग पैटर्न3. जनसंख्या गतिशीलता3.1 मानव आबादी3.2 पशुधन आबादी4. प्रेक्षण विधियाँ4.1 क्षेत्र स्तरीकरण और प्लाॅट का आकार4.2 क्षेत्र सर्वेक्षण और आँकड़ों का एकत्रीकरण4.2.1 वानस्पतिक प्रेक्षण व मापन4.2.2 मानचित्रण और ओरण की सामान्य जानकारी4.2.3 विभिन्न विघ्नों का अभिलेखन4.3 सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण5. मृदा विशेषताओं का निरूपण5.1 मृदा घनत्व मापन5.2 मृदा पी.एच. और जैविक कार्बन5.3 मृदा पोषक तत्व5.4 आंकड़ों की गणना और सांख्यिकीय विश्लेषण5.4.1 विविधता चर और वन प्रकार आंकलन5.4.2 स्थानिक प्रजातियों की संख्या और पुनर्जनन विश्लेषण5.4.3 मृदा कार्बन घनत्व और भंडार की गणना5.5 सांख्यिकीय विश्लेषण4 राजस्थान में पवित्र उपवनांे की जैव विविधता एवं स्थिति1. पृष्टभूमि2. पवित्र वनों का प्रलेखीकरण2.1. ओरण के बारे में मूलभूत जानकारी2.2. स्थलाकृतिक विषेषताएँ2.3. वानस्पतिक स्थिति2.4. वन्य जीव2.5. मृदा गुण3. स्थलाकृति और मृदा अपरदन5 पवित्र उपवनों की जैव-विविधता1. पृष्ठभूमि2. पवित्र उपवनों की पादप विविधता2.1 प्रजाति संख्या और प्रजाति प्रचूरता2.1.1 वृक्ष प्रजातियाँ2.1.2 झ्ााड़ी प्रजातियाँ2.1.3 वृक्षीय पौध2.2 विविधता सूचकांक और प्रभावी प्रजाति संख्या2.2.1 वृक्ष प्रजातियाँ2.2.2 झ्ााड़ी प्रजातियाँ2.2.3 वृक्षीय पौध2.3 सिम्पसन सूचकांक का प्रतिलोम3. विभिन्न जिलों में प्रजाति प्रचूरता एवं प्रभावी प्रजाति संख्या4. वृक्ष प्रमुखता और विविधता4.1 वृक्ष विविधता4.2 वृक्षीय पौध और झ्ााड़ी विविधता5. कृषि जलवायु क्षेत्र और पादप विविधता6. वानस्पतिक आधारीय क्षेत्रफल6.1 आधारीय क्षेत्रफल में स्थानिक विविधता6.2 वृक्ष प्रभुत्व का प्रभाव6.3 आधारीय क्षेत्रफल पर कृषि जलवायु क्षेत्रों का प्रभाव7. वन्य जीव विविधता7.1 पक्षी विविधता7.2 स्तनधारी जन्तुओं की विविधता7.3 सरीसृप8. आई. यू. सी. एन. सूची की प्रजातियाँ9. सांख्यिकीय संबंध10. निष्कर्ष एवं सुझाव6 पवित्र उपवनों में मृदा गुण एवं मृदा कार्बन भंडार1. पृष्ठभूमि1.1 प्राकृतिक वास की रक्षा2. मृदीय गुण2.1 मृदा भौतिक-रासायनिक गुण2.2 मृदा पोषक तत्व2.3 मृदा जैविक कार्बन और इसका घनत्व3. मिट्टी गुणो में स्थानिक विविधताएँ4. मृदा पर प्रमुख वृक्षों का प्रभाव5. कृषि जलवायु क्षेत्रांे में मृदा6. सांख्यिकीय संबंध7. निष्कर्ष एवं अनुसंशाएँ7 पवित्र उपवनों से आजीविका एवं इन पर संभावित खतरे1. पृष्ठभूमि2. पवित्र वनों के लाभ2.1 संरक्षण एवं जल उपलब्धता2.2 चराई के स्थान2.3 ईंधन काष्ठ का संग्रहण2.4 शुष्क काष्ठ संग्रहण2.5 लघु उत्पादों का एकत्रीकरण2.6 सामाजिक मेलमिलाप व कार्यक्रमों के लिए एक स्थान3. पवित्र उपवनों के लिए खतरे3.1 पारंपरिक मान्यताओं का विलोपन3.2 शहरीकरण और विकास द्वारा हस्तक्षेप3.3 पवित्र उपवनों का विखंडन3.4 संस्कृति का आधुनिकीकरण3.5 अपशिष्ट निस्तारण के बढ़ते प्रभाव3.6 अतिचराई और ईंधन काष्ठ संग्रहण3.7 मानव लोभ3.8 वनीकरण कार्यक्रमों में प्रयुक्त प्रजातिया3.9 विदेशी प्रजातियों द्वारा अवक्रमण3.10 विभिन्न नीतियों के परिणाम4. निष्कर्ष एवं संभावित अवसर8 लोगों की धारणाएं और पवित्र उपवन प्रबन्धन1. पृष्ठभूमि2. लोगों की धारणाएँ3. महत्वपूर्ण तथ्य4. प्रबन्धन नीतियाँ4.1 सामुदायिक भागीदारी और जागरूकता4.2 सरकार की नीति और योजना4.3 प्रलेखन और चित्रण4.4 उपवन प्रबन्धन और समुदाय संचालन4.5 पवित्र उपवनों का पुनर्स्थापन4.6 अति-चराई और अति उपभोग पर नियंत्रण4.7 आक्रामक प्रजातियों पर नियंत्रण4.7.1 लंटाना का नियंत्रण4.7.2 प्रोसोपिस जूलीफ्लोरा का नियंत्रण4.8 क्षतिपूरक वनीकरण के तहत रूपांतरण5. संकलन और भावी दृष्टिकोण9 संदर्भिका10. अनुलग्नकअनुलग्नक 1. राजस्थान के विभिन्न जिलों के ओरणों में पाये गए वृक्ष और झ्ााड़ियों की प्रजातियाँ एवं उनके स्थानीय नाम और कुल।अनुलग्नक 2. राजस्थान के विभिन्न जिलों के ओरणों में दर्ज की गई शाकीय और घास की प्रजातिया, उनके स्थानीय नाम और कुल।अनुलग्नक 3. राजस्थान के विभिन्न जिलों के पवित्र उपवनों में प्रेक्षित 30 सेमी परिधि व 10-30 सेमी परिधि वाले वृक्षों का जैव विविधता सूचकांक।अनुलग्नक 4. राजस्थान के विभिन्न जिलों के पवित्र उपवनों में प्रेक्षित झाड़ी प्रजातियाँ व 10 सेमी से कम से लेकर 3 सेमी परिधि वाले पौध का जैव विविधता सूचकांक।अनुलग्नक 5. राजस्थान के विभिन्न जिलों के पवित्र उपवनों में प्रेक्षित 30 सेमी से अधिक व 10-30 सेमी परिधि वाले वृक्ष, झाड़ी व 10 सेमी से कम से लेकर 3 सेमी परिधि वाले पादपों का प्रमुखता सूचकांक (आइ.वी.आइ.)अनुलग्नक 6. प्रेक्षित एवं स्थानीय लोगों के अनुसार राजस्थान के पवित्र उपवनों में पाये जाने वाले विभिन्न प्रकार के वन्य जीव।



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