Description
Scientific Publishers Shushk Kshetra Varnikaran Evam Van Prabandhan Takniki Evam Kaaryavidhiya (A Manual For Dryland Afforestation And Management) (Hindi) by G Singh
शुष्क क्षेत्र जैसे विषम परिस्थितियों के रहवासी विभिन्न चुनौतियों के प्रति परिवर्तनात्मक रहे हैं। जलवायवीय कठोरता के नियंत्रण हेतु सामुदायिक संसाधनों का संरक्षण और विभिन्न भू-उपयोग में वृक्षों का संवर्धन एवं सुरक्षा इसके कुछ उदाहरण हैं। पन्द्रह अध्याय में विभाजित इस पुस्तक के प्रथम 5 अध्याय राजस्थान के प्राकृतिक और मौषमीय स्थिति, शुष्क क्षेत्रों की पारिस्थितिकी, भूमि क्षरण और मरुस्थलीकरण, इसके आर्थिक मूल्यांकन और इनकी बहाली व पुनर्वास हेतु विभिन्न दृष्टिकोणों एवं कार्य नीतियों की जानकारी प्रस्तुत करते हैं। अध्याय 6 व 7 में मृदा अपरदन व रेत बहाव नियंत्रण, लवणता व क्षारीयता, जल जमाव और अपशिष्ट जल प्रवाह से प्रभावित क्षेत्रों के पुनर्वासन के उपाय का प्रस्तुतिकरण है। अध्याय 8-10 में आनुवंशिक सुधार द्वारा बेहतर बीज, क्लोन, जीनोटाइप एवं गुणवŸाापूर्ण पौध तैयार करने एवं लगाने की विधि निरूपित है। वर्षा जल संग्रहण एवं संचयन के विविध उपाय, प्रत्यक्ष बीज बुआई एवं पुनरुद्भवन को प्रोत्साहित कर अवक्रमित और अनुक्रमित वनों के पुनस्र्थापन को समझ्ााया गया है। अध्याय 13, 14 व 15 नर्सरी और रोपणों में लगने वाले भिन्न कीट और रोग, वृक्ष विकास और उनके उपज के पूर्वानुमान हेतु विभिन्न समीकरणों एवं माॅडलों के उपयोग और आमजन की वनों के प्रति धारणा और वन प्रबंधन में जन भागीदारी को शामिल किया गया है। इस पुस्तक का मुख्य उद्देश्य पाठकों को भूमि क्षरण, मरुस्थलीकरण और शुष्क क्षेत्र तथा इसके जैव-पारिस्थिकी के विषय में समुचित उद्धरण द्वारा व्यापक ज्ञान प्रस्तुत करना है, जिससे पुनर्वासन द्वारा वृक्ष और वन आच्छादन में वृद्धि, क्षेत्र की लचीलता और लोगों की आजीविका बढ़ाने तथा पर्यावरणीय स्थिति में सुधार लाने में मदद मिल सके। शिक्षाविद, शोधकर्ता, वन प्रबंधक, गैर सरकारी संगठन, विस्तार संस्था और पर्यावरणविद आदि एक दीर्घावधि लाभ हेतु वन तंत्रों के विकास, संरक्षण और प्रबंधन में इसका उपयोग कर सकते हैं। यह पुस्तक पारिस्थितिकी, सामाजिक व आर्थिक सेवाओं हेतु पुनस्र्थापन, सुरक्षा और संरक्षण के लिए प्रभावी योजना बनाने में नीति निर्माताओं के लिए भी उपयोगी है।