×







We sell 100% Genuine & New Books only!

Vidhi Ki Shabdhavali Aur Vidhi Ka Anuwad 2008 Edition at Meripustak

Vidhi Ki Shabdhavali Aur Vidhi Ka Anuwad 2008 Edition by SHARMA, BRIJ KISHORE, PHI Learning

Books from same Author: SHARMA, BRIJ KISHORE

Books from same Publisher: PHI Learning

Related Category: Author List / Publisher List


  • Price: ₹ 225.00/- [ 0.00% off ]

    Seller Price: ₹ 225.00

Estimated Delivery Time : 4-5 Business Days

Shipping Charge : Rs. 100.00

Sold By: Meripustak      Click for Bulk Order

Free Shipping (for orders above ₹ 499) *T&C apply.

In Stock

We deliver across all postal codes in India

Orders Outside India


Add To Cart


Outside India Order Estimated Delivery Time
7-10 Business Days


  • We Deliver Across 100+ Countries

  • MeriPustak’s Books are 100% New & Original
  • General Information  
    Author(s)SHARMA, BRIJ KISHORE
    PublisherPHI Learning
    ISBN9788120336643
    Pages248
    BindingPaperback
    LanguageHindi
    Publish YearJanuary 2008

    Description

    PHI Learning Vidhi Ki Shabdhavali Aur Vidhi Ka Anuwad 2008 Edition by SHARMA, BRIJ KISHORE

    यह पुस्तक एक आधिकारिक ग्रंथ है | इसमें विधि के क्षेत्र में हिन्दी के पदार्पण की कहानी है | राजभाषा (विधायी) आयोग की स्थापना किस उद्देश्य से और किस प्रकार हुई और क्यों वह समाप्त कर दिया गया ? निर्णय पत्रिकाओं का प्रकाशन किस उद्देश्य से किया गया ? प्रारंभिक कठिनाइयां क्या थीं ? हिंदी में विधि की शब्दावली के अभाव की पूर्ति के लिए क्या प्रयास हुए ? शब्दावली निर्माण के क्या सिद्धांत एवं मानकीकरण थे ? क्या पद्धति अपनाई गई ? किस प्रक्रिया से शब्द गढ़े गए, चुने गए और रुढ़ किए गए ? भारत के संविधान के हिंदी पाठ के प्रकाशन में क्या बाधाएँ थीं ? किस प्रकार यह महत्वपूर्ण कार्य संपन्न हुआ | सरलीकरण क्या है ? इन सब प्रश्नों के उत्तर, प्रयुक्त सिद्धांत और प्रभूत उदाहरण इस पुस्तक में है |हिंदी की श्रीवृद्धि में पं० नेहरू, डा० राजेंद्र प्रसाद, पं० गोविंदवल्लभ पंत और श्री पी० गोविंद मेनन आदि राजनेताओं की और डा० रघुवीर, पं० राहुल सांकृत्यायन, डा० सुनीति कुमार चटर्जी और श्री बालकृष्ण आदि विद्वानों की क्या भूमिका और योगदान रहा ? उसका वर्णन इसमें है |यह पुस्तक हिंदी के एक पक्ष का प्रामाणिक इतिहास है | साथ ही यह शब्दावली निर्माण के और विधिक अनुवाद के सिद्धांतों और शब्द विशेष के चयन के कारण और पृष्ठभूमि का वर्णन करती है |यह सब लिखा गया है उस व्यक्ति द्वारा, जिसने इस क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया है | उन्हें मध्यप्रदेश, बिहार, दिल्ली और कर्नाटक राज्य सरकारों, केंद्रीय हिंदी संस्थान, हिंदी साहित्य सम्मेलन आदि संस्थाओं ने सम्मानित किया है और जिनकी संविधान पर लिखी पुस्तक भारत का संविधान - एक परिचय भारत सरकार द्वारा पुरस्कृत है और इतनी लोकप्रिय है कि आठ वर्षों में उसके आठ संस्करण निकल चुके हैं |यह पुस्तक हिंदी भाषा के विकास के अध्ययन के लिए अनिवार्य है | शब्दावली और अनुवाद के क्षेत्र में काम करने वालों के लिए यह अचूक मार्गदर्शक है | भाषा विज्ञानियों के लिए यह विशेष सामग्री प्रदान करती है | हिंदी भाषा के प्रयोजनमूलक अध्ययन (functional Hindi) के लिए यह प्रकाश स्तंभ है |



    Book Successfully Added To Your Cart