Description
Rawat Publications Swachhata ka Samajshastra (Sociology of Sanitation) (Hindi) by Nagla B K
‘स्वच्छता का समाजशास्त्र’ स्वच्छता के पारस्परिक सम्बन्धों का सामाजिक अध्ययन है। अर्थात् ‘स्वच्छता का समाजशास्त्र’, स्वच्छता व समाज के बीच के आन्तरिक सम्बन्धों का अभ्यास करने वाला शास्त्र है, जिसमें मनुष्य और समाज के पारस्परिक प्रभाव का अध्ययन किया जाता है।भारत का इतिहास गवाह है कि कई समाज सुधारकों के द्वारा स्वच्छता सम्बन्धी आन्दोलन चलाए गए हैं। इसमें मुख्यतः महात्मा गाँधी, डॉ. बाबा साहेब अम्बेडकर, संत गाडेस बाबा व सूर्यकान्त परीख उल्लेखनीय हैं। इन लोगों ने स्वच्छता व स्वास्थ्य सुधार, शौचालय के गंदेपन का निवारण, शौचालय व स्नानगृह की सफाई आदि के लिए जन-जागृति की मुहिम छेड़ी है। गाँधी जी ने स्वच्छता व अस्पृश्यता निवारण को स्वतन्त्राता संग्राम प्रवृति का एक हिस्सा बनाया था। पूर्व प्रधनमंत्राी इन्दिरा गाँधी का मत है कि ‘भारत में स्वच्छता का अर्थ केवल सफाई से नही है, किन्तु वह मानव के मल-मूत्र को अपने सिर पर ढोनें की प्रथा का अंत है।’डॉ. विन्देश्वर पाठक ने निम्न जाति के लोगों द्वारा गन्दगी उठाने के कार्य का विरोध किया है तथा सामाजिक उत्थान व मानव अधिकार के सन्दर्भ में डॉ. पाठक सदैव कार्यरत् रहे हैं। आज इक्कीसवीं सदी के प्रारम्भ में भारत की वर्तमान सरकार तथा प्रधनमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के समस्त लोगों के बीच स्वच्छता के अभियान की स्वस्थ संकल्पना को कायम करने का सफल प्रयास किया है।वर्तमान समय में जब स्वच्छता व सफाई से संबंधित बदलते परिप्रेक्ष्य व बदलती विचारधारा नागरिकों की पहचान को प्रस्तुत करने का माध्यम बन रही है, तब ‘स्वच्छता का समाजशास्त्र’ विषयक सर्वग्राही, मननशील, तर्कशील व गहराई युक्त सघन चर्चा प्रस्तुत करने वाला यह साहित्य पाठकों, अनुसंधानकर्ताओं एवं नीति निर्धारकों को स्वच्छता केंद्रित परिवर्तन की दिशा की ओर ले जाएगा। साथ ही यह पर्यावरण एवं जलवायु के शुद्धिकरण के प्रति मंथन करने पर प्रेरित करेगा। यह भी सम्भावना है कि जनमानस के विचारों को ऊँचाई तक पहुँचाने में यह ग्रंथ अहम् भूमिका निभायेगा। अतः यह पुस्तक सभी के लिए उपयोगी है।